मैं एक शब्द बन
हर पन्नों में
बिखरना चाहती हूँ
तुम्हारी अनोखी रचना
बनना चाहती हूँ
होंगे जहाँ
एहसास मेरे ,भाषा तुम्हारी
जिज्ञासा मेरी , शब्द तुम्हारे
अन्तर्द्वंद मेरा ,उत्तर तुम्हारे
लड़कपन मेरा ,मजबूती तुम्हारी
कल्पना मेरी , पंख तुम्हारे
बन तुम्हारी कविता
मैं "शब्द" हर जगह पहचान
अपनी छोड़ना चाहती हूँ
एक सुंदर सी रचना
रचना चाहती हूँ
उसी में रस- बस जाना चाहती हूँ
मैं एक शब्द बन
हर पन्नों में बिखरना चाहती हूँ ........
हर पन्नों में बिखरना चाहती हूँ ..........
हर पन्नों में
बिखरना चाहती हूँ
तुम्हारी अनोखी रचना
बनना चाहती हूँ
होंगे जहाँ
एहसास मेरे ,भाषा तुम्हारी
जिज्ञासा मेरी , शब्द तुम्हारे
अन्तर्द्वंद मेरा ,उत्तर तुम्हारे
लड़कपन मेरा ,मजबूती तुम्हारी
कल्पना मेरी , पंख तुम्हारे
बन तुम्हारी कविता
मैं "शब्द" हर जगह पहचान
अपनी छोड़ना चाहती हूँ
एक सुंदर सी रचना
रचना चाहती हूँ
उसी में रस- बस जाना चाहती हूँ
मैं एक शब्द बन
हर पन्नों में बिखरना चाहती हूँ ........
हर पन्नों में बिखरना चाहती हूँ ..........
bahut sundar kalpana , aur rachna.jaroor apne shabdo ko bikheriye......
ReplyDeleteHow lovely na this indeed is every ones desire ok > Some said some unsaid and you tho well said !!
ReplyDeleteApni pehchan chod rahe ho apni kavitaon se. khoob likho ..........Amrita
ReplyDeletehar insan ki chahat hoti hai apni pehchan banane ki ..keep writing
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