अपने ही विचारों में
विचर रही हूँ
चेतन- अचेतन में
खुद को ढूंढ रही हूँ ,
जब पा लेती हूँ ,
ख़ुद को ,
तो जी लेती हूँ
कभी ,सबकुछ अनदेखा कर
आँखें मूँद लेती हूँ ......
हो गए हैं , बेतरतीब से
कुछ पन्ने ज़िन्दगी के ,
उन्हें सहेजने की
कोशिश करती हूँ ......
हर पन्ने का अपना हिस्सा ,
हर हिस्से का अपना किस्सा,
खुद को सुनाकर,
खुद को समझाकर
एक कहानी बुन लेती हूँ
बस यूँ ही
अपने विचारो में
विचर लेती हूँ.........
विचर रही हूँ
चेतन- अचेतन में
खुद को ढूंढ रही हूँ ,
जब पा लेती हूँ ,
ख़ुद को ,
तो जी लेती हूँ
कभी ,सबकुछ अनदेखा कर
आँखें मूँद लेती हूँ ......
हो गए हैं , बेतरतीब से
कुछ पन्ने ज़िन्दगी के ,
उन्हें सहेजने की
कोशिश करती हूँ ......
हर पन्ने का अपना हिस्सा ,
हर हिस्से का अपना किस्सा,
खुद को सुनाकर,
खुद को समझाकर
एक कहानी बुन लेती हूँ
बस यूँ ही
अपने विचारो में
विचर लेती हूँ.........
Loved it.
ReplyDeleteMam...You have a penchant for wording deep thoughts in so simple words. Excellent.
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