सारे संत,ग्रंथ कहते यही
अपने अन्दर ही है ईश्वर,
उसे ढूंढो तो सही.
पर हममें से इसपर
है कितनों को यकीं?
ढूंढते हैं उसे
जो है कण-कण में
हर जगह हर कहीं.......
कभी हम ढूंढते उसे
मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारों में
कभी गिरजा कभी मजारों में,
है किसकी कितनी आसक्ति?
है किसकी कितनी भक्ति?
तय यह होता नहीं
चंदा -चढ़ावों से
ना पाखंडी पंडितों के बहकावे से ,
ना ही दान -दिखावे से .........
हजारों भूखे मर रहे हैं
पैसे पैसे को तरस रहे हैं
पर, मंदिरों में नोट बरस रहे हैं
लोगों के पास खाने को नहीं
मंदिरों में दूध बह रहे हैं...........
जिस ईश्वर ने दिया सबकुछ
उसे क्या दिखाना है ?
पर ये समझे कौन?
और किसे समझाना है ?
बुद्ध ने जो मार्ग दिखाया
उसमे नहीं मूर्ति का अस्तित्व बताया ,
पर, लोगों ने बनाकर उनकी ही मूर्ति
उनको ही पूजनीय बनाया ...........
क्या नहीं यह विरोधाभास ?
पर है किसे यह आभास?
ऐसे एक नहीं कई किस्से हैं,
जिस इतिहास के हम हिस्से हैं.
पर , सच -सच यह बताना
किस ग्रंथ में ऐसा लिखा नहीं ?
है अन्दर हमारे ही ईश्वर
क्या सब विद्वानों ने यह कहा नहीं?
है विधाता की शक्ति
हम सब के अन्दर ,
चाहे वो रेत हो या समंदर,
वह है बनकर विश्वास
हमारी साँसों में
हमारे अंतर्मन में
हमारे अन्दर ................
अपने अन्दर ही है ईश्वर,
उसे ढूंढो तो सही.
पर हममें से इसपर
है कितनों को यकीं?
ढूंढते हैं उसे
जो है कण-कण में
हर जगह हर कहीं.......
कभी हम ढूंढते उसे
मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारों में
कभी गिरजा कभी मजारों में,
है किसकी कितनी आसक्ति?
है किसकी कितनी भक्ति?
तय यह होता नहीं
चंदा -चढ़ावों से
ना पाखंडी पंडितों के बहकावे से ,
ना ही दान -दिखावे से .........
हजारों भूखे मर रहे हैं
पैसे पैसे को तरस रहे हैं
पर, मंदिरों में नोट बरस रहे हैं
लोगों के पास खाने को नहीं
मंदिरों में दूध बह रहे हैं...........
जिस ईश्वर ने दिया सबकुछ
उसे क्या दिखाना है ?
पर ये समझे कौन?
और किसे समझाना है ?
बुद्ध ने जो मार्ग दिखाया
उसमे नहीं मूर्ति का अस्तित्व बताया ,
पर, लोगों ने बनाकर उनकी ही मूर्ति
उनको ही पूजनीय बनाया ...........
क्या नहीं यह विरोधाभास ?
पर है किसे यह आभास?
ऐसे एक नहीं कई किस्से हैं,
जिस इतिहास के हम हिस्से हैं.
पर , सच -सच यह बताना
किस ग्रंथ में ऐसा लिखा नहीं ?
है अन्दर हमारे ही ईश्वर
क्या सब विद्वानों ने यह कहा नहीं?
है विधाता की शक्ति
हम सब के अन्दर ,
चाहे वो रेत हो या समंदर,
वह है बनकर विश्वास
हमारी साँसों में
हमारे अंतर्मन में
हमारे अन्दर ................
Lovely
ReplyDeleteSUPERB SUPERB SUPERB......
ReplyDeleteWow.superb.very touching
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