Tuesday, 28 February 2017

ऐसे भी

अपनी वेदना ,ख्वाब
और ख्वाहिशों का बोझ उठाये
लहरों, थपेड़ो को ,हमसफ़र बनाये
बहते जाये
ज़िन्दगी के साथ रफ़्तार बनाये
जीवन मे कुछ रिश्ते ऐसे भी बनते हैं.....
              मानो दोनों
नदी के दो किनारें हों
एक दूजे के संग नहीं
फिर भी एक दूजे के सहारे हैं..
         होकर भी साथ
चल रहे साथ नहीं
न पकड़ा है हाथ अभी
न छोड़ा था साथ कभी
अपनी अनदेखी राह चले हुए
मंज़िल की आस लिए
अतृप्त प्यास लिए
जीवन मे कुछ रिश्ते
ऐसे भी बनते हैं।।!!!!!!

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