बहुत गहरा रिश्ता है
तेरा मेरा
ऐसे कैसे छूट जाएगा
क्या तेरे मेरे कहने भर से
ये ऐसे ही टूट जाएगा?
कौन सा भ्रम
पाले बैठे हैं हम
और सोच रहे
बस हो जायेंगे
एक दूजे से दूर
और हमें हमारी यादों से
छुटकारा मिल जायेगा
इतनी कच्ची मिट्टी से तो
बना नहीं ये प्रेम घट
जो हमारी परेशानियों से
फूट जायेग
कुछ अधूरे रिश्ते भी
कुछ अधूरे रिश्ते भी
होते हैं परिपूर्ण
तेरे मेरे चाहने से भी
ये न बदल पायेगा!!!!!!!!
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