देश की सीमा पर डटे थे "वो"
मैं घर की सीमा संभाल रही थी
लड़ रहे थे "वो" दुश्मनों से
मैं खुद से लड़ रही थी
अखबार पढ़ने से डरने लगी थी
हर घड़ी कुछ हो न बुरा
बस यही सोचने लगी थी
एक अजीब सी दहशत
मुझमे भर गई थी
"युद्ध" एक चल रहा था सीमा पर
दिल और दिमाग की लड़ाई से
मैं भी जूझ रही थी!
पाक के नापाक
इरादों से बेखबर
युद्ध ये हुआ था अचानक
धोखे से दुश्मनों ने
पहाड़ की चोटियों पर
कब्ज़ा किया था
बिन सोचे समझे
की अंजाम क्या होगा भयानक!
ज़मीन की सतह से
आसमान सी ऊंची
पहाड़ो की चोटियों पर
पहुँचना था
अपने हौंसले तले
दुश्मनों को रौंदना था
भारतीय सेना भी थी क्रुद्ध
चलता रहा भारत पाक का
ये युद्ध!
कब्ज़े में वापस
अपनी ही जमीं को
ले रहे थे
अपने अजीजों को भी
साथ साथ खो रहे थे
बस न खोया
हौंसला और हिम्मत
"ये दिल मांगे मोर"
अंतिम सांस तक
शहीद कैप्टेन बत्रा
बोल रहे थे!
खोये भारत ने भी
अपने कई वीर सपूतों को
युद्ध ने न जाने
तोड़े कितने परिवारों को
चला जो दो महीनों तक
युद्ध अविराम
पाकर विजय ही
भारत ने इसे दिया विराम।
नहीं कुछ शब्दों में
कर सकती मैं बयाँ
युद्ध में हम
क्या खोते क्या पाते है
कुछ अपनों की
यादों के दीपक
उम्र भर जलाते हैं .....
मैं घर की सीमा संभाल रही थी
लड़ रहे थे "वो" दुश्मनों से
मैं खुद से लड़ रही थी
अखबार पढ़ने से डरने लगी थी
हर घड़ी कुछ हो न बुरा
बस यही सोचने लगी थी
एक अजीब सी दहशत
मुझमे भर गई थी
"युद्ध" एक चल रहा था सीमा पर
दिल और दिमाग की लड़ाई से
मैं भी जूझ रही थी!
पाक के नापाक
इरादों से बेखबर
युद्ध ये हुआ था अचानक
धोखे से दुश्मनों ने
पहाड़ की चोटियों पर
कब्ज़ा किया था
बिन सोचे समझे
की अंजाम क्या होगा भयानक!
ज़मीन की सतह से
आसमान सी ऊंची
पहाड़ो की चोटियों पर
पहुँचना था
अपने हौंसले तले
दुश्मनों को रौंदना था
भारतीय सेना भी थी क्रुद्ध
चलता रहा भारत पाक का
ये युद्ध!
कब्ज़े में वापस
अपनी ही जमीं को
ले रहे थे
अपने अजीजों को भी
साथ साथ खो रहे थे
बस न खोया
हौंसला और हिम्मत
"ये दिल मांगे मोर"
अंतिम सांस तक
शहीद कैप्टेन बत्रा
बोल रहे थे!
खोये भारत ने भी
अपने कई वीर सपूतों को
युद्ध ने न जाने
तोड़े कितने परिवारों को
चला जो दो महीनों तक
युद्ध अविराम
पाकर विजय ही
भारत ने इसे दिया विराम।
नहीं कुछ शब्दों में
कर सकती मैं बयाँ
युद्ध में हम
क्या खोते क्या पाते है
कुछ अपनों की
यादों के दीपक
उम्र भर जलाते हैं .....
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