Tuesday, 24 September 2013

जन्मदिन

               मानो                            
कल की ही तो बात है
उसके नन्हे उंगलियों को पकड़
चलना उसे सीखा  रही थी,
उड़ना उसे बता रही थी,
               कब
वक्त को पंख लगे
कैसे गुजरे
दिन, महिने , साल
और बढ़ते रहे
दिन -प्रतिदिन
हमारे मोह -माया जाल .
             अब
विस्तृत जग में
विस्तृत नभ में
घोंसला छोड़, स्वतंत्र उड़ने को
तैयार हमारा बाल,
सबकी आशीष खड़ी है
बनकर उसका ढाल,
जन्मदिन हो उसे मुबारक
ऐसे ही सालों -साल......................
(२४-९-२०१३)

2 comments:

  1. Have you shared it with Sonu ! Please do it if not done already !

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