फलसफों और दलिलो से
किसी के बहुत पास
किसी से बहुत दूर
है ज़िन्दगी,
क्या सच , क्या झूठ,
यही उधेरबुन है ज़िन्दगी.
कर लिया है
किसी ने कैद
ज़िन्दगी की सच्चाईयों को
अपने फलसफो में
पर मेरा भ्रम ही है
मेरा फलसफा , मेरी ज़िन्दगी
मैं क्या करूँ हिसाब
आये गए पलो का,
बहुत बेहिसाब है
ज़िन्दगी ......
किसी के बहुत पास
किसी से बहुत दूर
है ज़िन्दगी,
क्या सच , क्या झूठ,
यही उधेरबुन है ज़िन्दगी.
कर लिया है
किसी ने कैद
ज़िन्दगी की सच्चाईयों को
अपने फलसफो में
पर मेरा भ्रम ही है
मेरा फलसफा , मेरी ज़िन्दगी
मैं क्या करूँ हिसाब
आये गए पलो का,
बहुत बेहिसाब है
ज़िन्दगी ......
keep up the writing. gud work
ReplyDeleteYes you are right this life is full of confusion of wrongs and rights........but I can only say .....Zindagi mein har khushi ki jimmebari tumahari aur sirif tumhari hai bande
ReplyDeleteBahut Khoob..bahut badhiyaan
ReplyDeletewakai me ......badi behisab hai ye zindagi.......
ReplyDelete