Tuesday, 17 September 2013

श्रदांजलि......निर्भया के नाम

निर्भया की गहरी नीन्द ने
सबको जगा दिया
कितनी गिर सकती है मानवता ,
यह बता दिया.
जिस रावण का जलता है
पुतला हर साल
उसने तो बस सीता को हरा था ,
क्रोधित था वो
क्योंकि सीता ने उसे
नहीं वरा था
 हमने उसे ,बुराई का
पर्याय बना दिया.
बहुत भला था
त्रेतायुग का रावण
बीते वक़्त ने
यह बता दिया
  इस युग में
शुम्भ -निशुम्भ की तरह
गुणित हो रहे है राक्षस,
रोज़ कहीं न कही
हत्या और बलात्कार
कोई प्रकट नहीं होनेवाला है
          अवतार
खुद बन कर चंडी
कर इनका संहार
निर्भया ने जाते जाते
यह बता दिया
उसकी गहरी नीन्द ने
सबको जगा दिया ...........

15 comments:

  1. jagne aur jagane dono ki jaroorat hai
    keep writing.

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  2. Oh how excellent ki Nirbhay ki gahari nind ne hame jaga dia ! What a great tribute to the young martyr wish she could hear and she will that's GODs will !

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  3. acha likhti hain........njoyd reading all of them

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  4. अदभुत. बहुत अच्छी कविता है . हे कवियित्री, तुम्हारी कविता कामिनी जाग चुकी है !

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  5. बहुत अच्छी कविता है.

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  6. Anu, its very touching.........

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  7. ... अनुपमा तुम्हारी कविता बेहद भावुक पह्लुयों को सामने रखते हुए कलयुगी सच्चाई को उजागर करती है. तुमने बड़े बेबाकी के साथ शब्दों को पिरोया है जो बेहद रोचक है. तुम्हारी लेखन विद्या तुम्हे चरमोत्कर्ष प्रदान करें. तहे दिल से तुम्हे मेरी ढेढ सारी शुभ कामनाएं ....

    आलोक पुंज

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    1. आलोक बहुत धन्यवाद, होंसला बढ़ाने के लिए....बाकी की कविताएँ भी पढ़कर बताना.
      तुम सबकी टिप्पणी बहुत मायने रखती हैं.......

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  8. हैवान भी हिम्मत हारेंगे
    शैतान का भ्रम भी टूटेगा
    तुम खुद चंडी बन जाओ तो
    कौन तुम्हें कहीं लूटेगा ?
    मन के डर को तुम मार चलो
    तन के बल को दरकिनार करो
    आंखों में धधकती ज्वाला हो तो
    किसकी हिम्मत तुम्हें छुएगा ?

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  9. श्यामाश्री21 September 2013 at 23:30

    अन्नु,बहुत हि सुन्दर,तुम्हारी और कविताएँ कहा पढ़ सकते हैं ?

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  10. touching lines and prabhavshali shabd.

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  11. very heart touching

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