Monday, 14 October 2013

पतंग और हम

आसमान मे उड़ते रंग बिरंगे पतंग
आज की युग की साम्यता लिए
स्वतंत्र, निर्भय, उन्मुक्त
सब एक दुसरे से
आगे  बढ़ने को तत्पर
हर घडी, हर पल
बस ऊंचाई की चाह लिए
आगे बढ़ने की राह किये
कटकर या काटकर
मरकर या मारकर
यही एक धेय लिए
यही एक उद्देश्य लिए .......
ऊँची उडान मे कोई बुराई नहीं
पर ,किसी की डोर काटना
अच्छाई नहीँ,
कुछ पतंग पीछे उड़ रहे हैं
          इंतज़ार मे
हवाओं के रुख के बदलने का
दिशा दशा पलटने का
आगे पीछे होड़ लगी है
बस सबकी दौड़ लगी है .......
         सच है
है आकाश असीम
पर हमें अपनी सीमितता समझना है
है डोर का भी ओर छोर
ये समझना ओर समझाना है ............

1 comment:

  1. zindagi ki sacchai hai ye......jise tumne bahut khubsurti se bandha hai

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