व्यस्त ज़िन्दगी के
गुजरे पलों के इधर उधर पड़े
लम्हों के कतरनों को
संभाल कर रखना ...
कहीं कोई रंगीन
कहीं रंगविहीन टुकड़ा पड़ा होगा
किसी टुकड़े में
दाग कोई लगा होगा ,
दोस्तों की टोली की तरह
कई यादों का टुकड़ा सतरंगी होगा,
रिश्तो की तरह,कोई टुकड़ा
किसी डोर से उलझा होगा ,
कहीं कोई टुकड़ा .कहीं से आरा
कहीं से तिरछा होगा,
कुछ यूँ ही कुछ अजनबी एहसासों
में लिपटा होगा
ज़िन्दगी के अनुभवों की तरह ,
सब टुकडो का
मायना और अस्तित्व होगा
जोड़कर सब कतरनों को,सिलकर
चलो बनाये एक चादर
कभी ओढ़कर जिसे
कभी बिछाकर
यादो की कतरन
अनुभवों और यादों की
उष्णता देगा....
गुजरे पलों के इधर उधर पड़े
लम्हों के कतरनों को
संभाल कर रखना ...
कहीं कोई रंगीन
कहीं रंगविहीन टुकड़ा पड़ा होगा
किसी टुकड़े में
दाग कोई लगा होगा ,
दोस्तों की टोली की तरह
कई यादों का टुकड़ा सतरंगी होगा,
रिश्तो की तरह,कोई टुकड़ा
किसी डोर से उलझा होगा ,
कहीं कोई टुकड़ा .कहीं से आरा
कहीं से तिरछा होगा,
कुछ यूँ ही कुछ अजनबी एहसासों
में लिपटा होगा
ज़िन्दगी के अनुभवों की तरह ,
सब टुकडो का
मायना और अस्तित्व होगा
जोड़कर सब कतरनों को,सिलकर
चलो बनाये एक चादर
कभी ओढ़कर जिसे
कभी बिछाकर
यादो की कतरन
अनुभवों और यादों की
उष्णता देगा....
I can well feel and appreciate your growth as a poet which is showing great passion and depth of understanding .......' aur who bhi jara hat ke' , so how the poetry should be...... we need to really feel proud to fathom your this very wonderful and sensitive side of thought process, a clear pointer in your piece on 'Nirbhaya'.weldone and keep it up .... let 'Sarswati' be with you like it was for 'Tulsidas' ..........ROY
ReplyDeleteThanks a lot.very motivating words.Need blessings from all of you.
Deleteoh 'Katran' is a masterpiece because it represents our own dilemma and plight. Well said and keep saying it ........
ReplyDeleteThis is your masterpiece but best is yet to come .......wish you all the best !
ReplyDeleteप्रिय अनू,
ReplyDeleteतुम्हारी प्रतिभा के बारे में मुझे कभी कोई शक नहीं था. तुम प्रतिभावान तो हो ही साथ में संवेदनशील भी .कविता लिखने के लिए और चाहिए क्या . तुम्हारे कविता की भाषा भी अच्छी है .और दिल से लिखी हुई कविता में भाषा कभी बाधा बन सकती है क्या ? और तुम्हारी भाषा में विरासत और व्यक्तिगत शैली दोनों का सुखद संयोग है.
मोहनजी
bahut sundar rachna......bahut sundar kalpana
ReplyDeletebahut hi achi hai......keep writing
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