Monday, 17 July 2017

होती अगर

होती अगर
बदली सी यादें तो
घूम घूम घुमड़ घुमड़
बारिश बन बरस जाती
बरस कर फिर थम भी जाती।

होती गर चाँद सी
ये यादें
बस रहती, रहते अमावस के
पूनम के आते ही
कहीं गुम हो जाती।

 होती गर फूल सी यादें
खिल ,मुरझा,झड़ जाती
सब बातों को
दफ़न कर जाती।

होती गर ओस सी यादें
गीली,नम होकर
सूख भी जाती
फिर न आती

पर यादें लगती मुझे
विशाल हिमखंड सी
जमी रहती है
कतरा कतरा
कतरा कतरा
पिघलती है
कतरा कतरा
पिघलती हैं........

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