कब तक
कविता में सजती रहेगी
चूड़ियाँ सिर्फ गोरी कलाई में
कब तक
गोरा मुखरा ही बसेगा
चाँद की सुंदरता और अंगड़ाई में
कब तक
दूधिया सफेदी
रंगेगी सुंदरता की कल्पना
कब तक
रंग- भेद की
चलती रहेगी ये विडंबना
कब तक??
कविता में सजती रहेगी
चूड़ियाँ सिर्फ गोरी कलाई में
कब तक
गोरा मुखरा ही बसेगा
चाँद की सुंदरता और अंगड़ाई में
कब तक
दूधिया सफेदी
रंगेगी सुंदरता की कल्पना
कब तक
रंग- भेद की
चलती रहेगी ये विडंबना
कब तक??
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