कई बार चाहा
कितना कुछ कहना
पर नहीं कह पाती
शब्द,जुबाँ तक आते नहीं,
पता नहीं ,क्यूँकर
बेजुबान हो जाते हैं।
ठहर से जाते हैं,
आँखों से भी
बयाँ कहाँ हो पाते हैं!
झिझकते हैं
पता नहीं किससे
शब्द शायद
बन न जाए किस्से
धड़कन के आरोह अवरोह
में बजता संगीत
अंदर ही अंदर
सुनती हूँ
नहीं गा पाती
नहीं कर पाती लयबद्ध
कुछ अकथ बात
एक नारी के जज्बात
दब जाते हैं,
अपने ही
धड़कनों के आरोह अवरोह में
सुरबद्ध होने को
लयबद्ध होने को.......
कितना कुछ कहना
पर नहीं कह पाती
शब्द,जुबाँ तक आते नहीं,
पता नहीं ,क्यूँकर
बेजुबान हो जाते हैं।
ठहर से जाते हैं,
आँखों से भी
बयाँ कहाँ हो पाते हैं!
झिझकते हैं
पता नहीं किससे
शब्द शायद
बन न जाए किस्से
धड़कन के आरोह अवरोह
में बजता संगीत
अंदर ही अंदर
सुनती हूँ
नहीं गा पाती
नहीं कर पाती लयबद्ध
कुछ अकथ बात
एक नारी के जज्बात
दब जाते हैं,
अपने ही
धड़कनों के आरोह अवरोह में
सुरबद्ध होने को
लयबद्ध होने को.......
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