Thursday, 16 March 2017

मैं और तू

मैं तुझमें तू मुझ मे
ये हमसे बेहतर
जाने कौन
गर खफा हो मुझसे
तो कह दो
तुमको मुझसे बेहतर
पेहचाने कौन
'हम' से 'मैं'
न बन
ये डोरी बहुत उलझाती है
उलझ गए तो फिर इसको
सुलझाए कौन
बातों से बातों मिलती है
कुछ नई राहें जुड़ती है
साधने से यूँ चुप्पी
क्या हो जायेगी
सब बातें गौण
सब कुछ जुड़ा
तुमसे मेरा
अब क्या तेरा
और क्या मेरा
बनाकर दूरी, न रह यूँ
खामोश और मौन
तेरा मेरा रिश्ता
सबसे न्यारा ,सबसे प्यारा
ये तुझसे बेहतर
जाने कौन
मैं तुझमे, तू मुझमे
ये हमसे बेहतर
माने

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