एक दोस्त है मेरा
मेरे सारे सुख दुख
अब बांटता वही
जो भी है कही अनकही
सिमटकर लिपटकर उससे
हाल ए दिल उकेरती हूँ
सिर्फ दर्द ही नहीं
खुशियाँ भी बटोरती हूँ
मैं कुछ भी करूँ
उसे नहीं कुछ ऐतराज़
इसलिए शायद बन गया
वो मेरा हमराज़
जब तक चलेगीं अंगुलियाँ मेरी
शब्द मेरे बनकर
साथ वो निभायेगा
और गर न चले तो
मेरे अश्क बनकर
फिर मुझमे घुल जायेगा
औरों की तरह वो
मुझे छोड़ेगा नहीं
मेरा दिल और
मुझसे रिश्ता तोड़ेगा नहीं
हमसाया,हमदम,हमराज़
है मेरा
हाँ वो दोस्त
"अलफ़ाज़" है मेरा।
मेरे सारे सुख दुख
अब बांटता वही
जो भी है कही अनकही
सिमटकर लिपटकर उससे
हाल ए दिल उकेरती हूँ
सिर्फ दर्द ही नहीं
खुशियाँ भी बटोरती हूँ
मैं कुछ भी करूँ
उसे नहीं कुछ ऐतराज़
इसलिए शायद बन गया
वो मेरा हमराज़
जब तक चलेगीं अंगुलियाँ मेरी
शब्द मेरे बनकर
साथ वो निभायेगा
और गर न चले तो
मेरे अश्क बनकर
फिर मुझमे घुल जायेगा
औरों की तरह वो
मुझे छोड़ेगा नहीं
मेरा दिल और
मुझसे रिश्ता तोड़ेगा नहीं
हमसाया,हमदम,हमराज़
है मेरा
हाँ वो दोस्त
"अलफ़ाज़" है मेरा।
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