अलमारी में कपड़ो के बीच
एक जानी पहचानी खुशबू छाई
कुछ पुरानी बातें, कुछ पुरानी यादें
जेहन में उभर आई
रखा दिखा वो रुमाल भी
छिडककर जिसपर तुमने दिया था इत्र
लिखा उसके कोने पर था मित्र
हमदोनो का था ऐसा संग
हों जैसे अभिन्न अंग
दोस्ती हमारी इत्र सी महक रही थी
पर कुछ लोगों को खल रही थी!
कैसे हो सकते स्त्री पुरुष सिर्फ मित्र
अच्छा नहीं था उनकी नज़रों में हमारा चरित्र
हमारी पवित्रता से भरी
मित्रता की शीशी तोड़ने में जुड़े थे
टूटे कैसे मित्रता इसपर अड़े थे
विश्वास की खुश्बू वाले
इत्र से हम भरे थे
फैलाकर अपनी खुश्बू दोस्ती की
हम और भी घुल मिल रहे थे
फिर परिस्थितियाँ हमारी अलग हुई
पर नहीं दोस्ती विवश हुई
जुदा होकर भी एक दूजे से
बन खुश्बू हम इत्र
तेरी याद में महक रहे
ए मित्र....
एक जानी पहचानी खुशबू छाई
कुछ पुरानी बातें, कुछ पुरानी यादें
जेहन में उभर आई
रखा दिखा वो रुमाल भी
छिडककर जिसपर तुमने दिया था इत्र
लिखा उसके कोने पर था मित्र
हमदोनो का था ऐसा संग
हों जैसे अभिन्न अंग
दोस्ती हमारी इत्र सी महक रही थी
पर कुछ लोगों को खल रही थी!
कैसे हो सकते स्त्री पुरुष सिर्फ मित्र
अच्छा नहीं था उनकी नज़रों में हमारा चरित्र
हमारी पवित्रता से भरी
मित्रता की शीशी तोड़ने में जुड़े थे
टूटे कैसे मित्रता इसपर अड़े थे
विश्वास की खुश्बू वाले
इत्र से हम भरे थे
फैलाकर अपनी खुश्बू दोस्ती की
हम और भी घुल मिल रहे थे
फिर परिस्थितियाँ हमारी अलग हुई
पर नहीं दोस्ती विवश हुई
जुदा होकर भी एक दूजे से
बन खुश्बू हम इत्र
तेरी याद में महक रहे
ए मित्र....
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