Sunday, 23 April 2017

कलम एक जरिया

अपने कलम के जरिये कुछ लिखती हूँ
कुछ तलाशती हूँ, कुछ तराशती हूँ
अपने ही मन मष्तिष्क में
उथल पुथल मचाती हूँ,
कल्पनाओं से खेलती हूँ
उनमे रंग भरती हूँ,
बन जाते हैं शब्द रंगोली से
सृजन का एहसास कर
मातृत्व का सुख पाती हूँ.....

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