Thursday, 21 September 2017

दीवानगी

रात है,कुछ उमड़ते से जज्बात हैं
चाँद संग चल रही गुफ़्तगू
बस आपकी ही शिकायत
आपकी ही बात है

सोने सी दुपहरी में भी
आप का ही ताब है
ये दिल न जाने क्यूँ
बस यूँ ही बेताब है!

सिर्फ ख़्वाबों में ही बहार है
न मिलने का मलाल है
सितारों से टिमटिमाते ख्याल
यही रकीब यही मेरा यार है

मिलना आपसे कहाँ आसान है
कितने ही हिज्र की रातों के बाद
 आता आपका पैगाम है

दीवानगी मेरी दिख रही सरे आम
चाँद ने कहा हौले से
यही दीवानगी ही तो
मुहब्बत का नाम है

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