Saturday, 2 September 2017

प्रियतम ( picture prompt आगमन)

प्रियतम
यूँ न देखो मुझे
वाचाल से मूक बन जाऊँगी
फिर रह जायेंगी सारी बातें
व्यक्त्त कहाँ मैं कर पाऊँगी !
न बनो तुम कान्हा से चंचल
मैं राधा नहीं बन पाऊँगी
नहीं मैं तुम संग हँस हँस
अपना प्रेम छुपा पाऊँगी!
नयन गर मिले नयन से
सारी अनकही ,कह जायेंगे
नहीं अधरों की तरह
नयन मेरे शर्मायेंगे!
छुपाया था  बड़े जतन से
सब यूँ ही कह जाऊँगी
फिर न कहना
प्रियतम कुछ मुझसे
मैं भावों के रंग,रंग जाऊँगी
मीरा जैसी दीवानी फिर
शायद मैं भी बन जाऊँगी!
धड़कन में मेरी
प्रिय नाम तुम्हारा
कैसे मैं साँसों में
छुपा पाऊँगी !
प्रियतम यूँ न देखो मुझे
मैं बेबस हो जाऊँगी
तुम्ही कहो कैसे मैं
तप्त ह्रदय को समझाऊँगी!
मधुर बंधन ये तुम्हारा मेरा
बंधकर भी है नहीं बंधा
 बात किस किस को
मैं ये बतलाऊँगी!
प्रियतम यूँ न देखो मुझे
मैं नहीं "मैं" रह पाऊँगी

©अनुपमा झा




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