नये साल की तारीखों में
कर लो कुछ अपने मन की
बहुत जोड़ लिया तिनका तिनका
रखा ख्याल इनका,उनका
अब जपो मन का मनका
निकल घोंसले से ,उड़ान भरो
मुट्ठी में अपने जहान करो,
बना लो एक दुनिया,अपनी भी,
नए साल की तारीखों में
कर लो कुछ अपने मन की।
मुश्किलों से ज़िन्दगी कभी उबरती नहीं,
गाँठ बंधनो की ,कभी सुलझती नहीं
बाँध लो कुछ अपने सपने
गाँठ लगा लो,
अपने लिए,कुछ करने की
कर लो, कुछ अपने मन की।
उम्र निकल गयी
वक़्त गया गुज़र
बाकी बची ज़िन्दगी भी
हो जाएगी बसर,
ऐसा- बिल्कुल सोचना मत।
सपनों को जीने की कोई
मियाद नहीं होती,
ख्वाहिशों से खेलने की
तय कोई उम्र नहीं होती।
पछतावे, दोषारोपण से बेहतर है
सुन लो अपने दिल की।
चलो नए साल की तारीखों में
कर लो कुछ अपने मन की।
कहने दो ,जिनको जो कहना है
जीवन जीने का हक़ भी
सबका अपना है।
सोच से ज़माने के
कहकहे लगाना न बंद करो।
सोच गर उनकी तंग है,
तो ,खुद की क्यूँ तंग करो?
सुनो
क्षणिक इस जीवन में
न पछतावों के संग रहो
सपनों में अपने तुम
ज़िन्दगी के रंग भरो।
जब भी ,जैसे भी हो मुमकिन
धनक बना लो ,सपनों की
आने वाले सालों में
सुनो कुछ अब अपनी भी,
नये साल की तारीखों में
जगह बनाओ खुद की
कर लो कुछ अपने मन की
कर लो कुछ अपने मन की।
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