रक्त बीज से गुणित हो रहे
इस धरा पर पाप है
क्या लग गया
सोने की चिड़ियाँ को
सच मे किसी का श्राप है?
किसान कर रहे ,जहाँ खुदकुशी
शिक्षा हो रही बदहाल है
आये दिन हो रहा
बंद और हड़ताल है
लूट और आगजनी
आये दिन की बात है
हो रहे ऐसे कांड यहाँ
इंसानियत भी शर्मसार है
हैरान कायनात सोच रही
कब ढलेगी ऐसी स्याह रातें
होगी इस धरा पर
बिन सियासत की बातें
"वो सुबह कभी तो आएगी"
बदलेगी इस देश की भी हालातें
"चुप है धरती चुप है चाँद सितारे"
शायद ढूंढ रहे उनको
"जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है"
कहाँ हैं?
कहाँ है?
कहाँ हैं?....
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