Wednesday, 25 November 2020

साहिर

 रक्त बीज से गुणित हो रहे

इस धरा पर पाप है

क्या लग गया

सोने की चिड़ियाँ को 

सच मे किसी का श्राप है?

किसान कर रहे ,जहाँ खुदकुशी

शिक्षा हो रही बदहाल है

आये दिन हो रहा

बंद और हड़ताल है

लूट और आगजनी 

आये दिन की बात है

हो रहे ऐसे कांड यहाँ

इंसानियत भी शर्मसार है

हैरान कायनात सोच रही

कब ढलेगी ऐसी स्याह रातें

होगी इस धरा पर 

बिन सियासत की बातें

"वो सुबह कभी तो आएगी"

 बदलेगी इस देश की भी हालातें

"चुप है धरती चुप है चाँद सितारे"

 शायद ढूंढ रहे उनको

"जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है"

कहाँ हैं?

कहाँ है?

कहाँ हैं?....

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