Monday, 31 July 2023

मैथिली #कविता सोचू

 #मैथिली #कविता


#सोचू


जहियासँ भेल शहर आबाद

बंद भेल, बोनक संगे मानवक संवाद

गाछ वृक्ष सभ कटि रहल सगरो

के’ सुनत ,चिड़ै-चुनमुनक फरियाद।


अछि उगैत नव नस्लक फल-फसल 

द' कए बस अगबे खादे खाद

कोना क' लेतै ओ साँस

धरतीक भेलै दोहन,उर्वरता बर्बाद


प्लास्टिकसँ सभ पाटि देलक

नदी,समुन्दर ,भूमि, पहाड़

ओतहु तं हम बना देलहुँ 

मॉल ,होटल आ बाजार।


सोचै  छी, होए छी खूब प्रसन्न

ई हम भेलहुँ केहन आबाद

सूखा रहल अछि पोखरि-इनार  

नहि भ’ रहलैए ओकरा लेल कोनो संवाद ।


की भेटल, की हानि भेल

मनहिं करू किछु सोच, 

चेतू एखनो अछि समय

लुटि कए, देबै ककरा दोष!


©अनुपमा झा

 

(  बहुत हितैषी ,मित्र मैथिली में लिखै लेल प्रोत्साहित क रहल छैथ।  कोशिश क रहल छी। छोट सन कोशिश हमर 🙏)

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