* हाइकु *
(1)
पूजी गयी स्त्री
जब बनी पाषाण
हर काल में।
(2)
घन प्रेम में
भीगती रही धरा
हरित हुई।
(3)
खोइछा मिला
मायके का खजाना
पल्लू में बंधा।
(4)
रंग जाता है
काला,सफेद फोटो
आज भी दिल।
(5)
पसरा है जो
हमारे बीच मौन
वाचाल है वो।
(6)
उग आता है
कभी,कहीं, कैसे भी
आस औ' घास।
(7)
घर गृहस्थी
पकती कविता भी
संभालती स्त्री।
(8)
धानी सपने
अंजन बने मेड़
लहलहाए।
(9)
नहीं मिलते
गूगल मैप पर
दिलों के रास्ते
(10)
धूप दिखाती
बड़ी पापड़ संग
अरमानों को।
©अनुपमा झा
(हाइकु कविता तीन पंक्तियों में लिखी जाती है। हिंदी हाइकु के लिए पहली पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ अक्षर और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर, इस प्रकार कुल १७ अक्षर की कविता है। हाइकु अनेक भाषाओं में लिखे जाते हैं; लेकिन वर्णों या पदों की गिनती का क्रम अलग-अलग होता है। तीन पंक्तियों का नियम सभी में अपनाया जाता है।)
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