"अपनी गुड़िया की शादी रचनी है
मुझे नहीं शादी करनी है"
शब्द ये कहते कहते थक गयी
पर मुनिया की शादी रची गयी।
पति की उम्र अधेड़,
घर में कामो का ढेर
पति के पहले वाले दो
बेटियों की माँ बन गयी
छोटी मुनिया अचानक से
बड़ी बन गयी।
कभी इस आँगन ,कभी उस आँगन
जो चहकती थी,फुदकती थी
उसके पर दिए क़तर
आँगन में बंधी ,पल्लू के संग,
फूँक रही थी चूल्हा
या अपने अरमान?
कौन जाने,हे भगवान!
काला धुआँ फूंक रही थी
या अपने नसीब को
धूक रही थी!
क्या थी उसकी गलती
अपने नसीब से पूछ रही थी।
कुछ दिनों बाद
घर में मिठाई बंट रही थी
मुनिया माँ बन गयी थी
पर
प्रसव की पीड़ा सह न पायी
एक और मुनिया दे
इस पीड़ा से उसने मुक्ति पाई।
बेटी जन्म के ताने सुनने को
वो नहीं बच पायी थी
जाते जाते चढ़ती सांसों से
बस इतना कह पायी थी
बाल विवाह न करवाना इसकी
नहीं तो भरती रहेगी
ये भी एक मुनिया बन सिसकी.......
मुझे नहीं शादी करनी है"
शब्द ये कहते कहते थक गयी
पर मुनिया की शादी रची गयी।
पति की उम्र अधेड़,
घर में कामो का ढेर
पति के पहले वाले दो
बेटियों की माँ बन गयी
छोटी मुनिया अचानक से
बड़ी बन गयी।
कभी इस आँगन ,कभी उस आँगन
जो चहकती थी,फुदकती थी
उसके पर दिए क़तर
आँगन में बंधी ,पल्लू के संग,
फूँक रही थी चूल्हा
या अपने अरमान?
कौन जाने,हे भगवान!
काला धुआँ फूंक रही थी
या अपने नसीब को
धूक रही थी!
क्या थी उसकी गलती
अपने नसीब से पूछ रही थी।
कुछ दिनों बाद
घर में मिठाई बंट रही थी
मुनिया माँ बन गयी थी
पर
प्रसव की पीड़ा सह न पायी
एक और मुनिया दे
इस पीड़ा से उसने मुक्ति पाई।
बेटी जन्म के ताने सुनने को
वो नहीं बच पायी थी
जाते जाते चढ़ती सांसों से
बस इतना कह पायी थी
बाल विवाह न करवाना इसकी
नहीं तो भरती रहेगी
ये भी एक मुनिया बन सिसकी.......
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