Wednesday, 7 June 2017

यादें

किस पन्ने से शुरू करूँ
यादों का किस्सा,
सब यादों की अपनी जगह
सब यादों का अपना हिस्सा।
कुछ यादें बचपन की
कुछ लड़कपन की यादें
कुछ कट्टी दोस्ती की
खट्टी मीठी सी यादें
कुछ यौवन के सपनो की
बंद और खुली आँखों वाली यादें
उफ्फ़फ़ ये यादें...
यादों की एल्बम से
कई भूले बिसरे दोस्त याद आ गए
जिन्हें वक़्त की दौड़ में न जाने
हम कब भूल भूला गए।
दोस्तों संग बेवजह खिलखिलाने की यादें
बेवजह बात पर शर्त लगाने की यादें
छेड़, छाड़, प्रेम मनुहार
उफ्फ़फ़ कितनी ही यादें।
कितनी सार्थक यादें,
कितनी निरर्थक यादें,
कितनी हँसाती यादें,
कितनी रुलाती यादें,
ज़िन्दगी के अनुभवों की यादें
उफ्फ़फ़ ये यादें।
यादों से कभी बढ़ता जीवन,
कभी जीवन से बढ़ती यादें,
 हो जाता है जीवन शेष ,
पर रह जाती यादें अशेष
हाँ ये यादें
उफ्फ़फ़ ये यादें....









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