चिड़िया कुछ सोच रही है
कम होते पेड़ो को देख ,व्यथित हो रही है
कहाँ होगा हमारा घरबार
कहाँ बसेगा हमारा संसार?
पेड़ न हो तो ,छाया कैसे होगी
फल न होंगे तो भूख हमारी कैसे मिटेगी?
किसकी डाली पर हम फुदकेगे
हमारी कलरव कहाँ होगी?
दूसरे देशों से भी आते जो
पँछी बन मेहमान
वो कहाँ रुकेंगे?
देख हमारी दुर्दशा
हमारे संग मनुष्यों पर भी हँसेंगे
खुद मनुष्य जो काट रहा
वो भी कहाँ अछूता रह पाएगा
काट पेड़ बस छणिक सुख पायेगा
जब कटते होंगे पेड़
चोट इन्हें भी तो लगती होगी
ये कटे तो मानव की भी तो सांसे घटती होगी?
इन पेड़ों से ही साँसे चलती
जीवन चलता सबका।
ओ मानव
जरा सी लालच हटा कर सोच
एक मिनट को पँछी बनकर सोच
सोच पेड़ का मूल्य
दोस्ती कर प्रकृति से
रह दूर जरा प्रगति से
दोस्ती हमसब की
युग युगान्तर तक जायेगी
फिर क्या पेड़, क्या पँछी
ये व्योम ,धरा,नदी सब
खिलखिलायेगी
कम होते पेड़ो को देख ,व्यथित हो रही है
कहाँ होगा हमारा घरबार
कहाँ बसेगा हमारा संसार?
पेड़ न हो तो ,छाया कैसे होगी
फल न होंगे तो भूख हमारी कैसे मिटेगी?
किसकी डाली पर हम फुदकेगे
हमारी कलरव कहाँ होगी?
दूसरे देशों से भी आते जो
पँछी बन मेहमान
वो कहाँ रुकेंगे?
देख हमारी दुर्दशा
हमारे संग मनुष्यों पर भी हँसेंगे
खुद मनुष्य जो काट रहा
वो भी कहाँ अछूता रह पाएगा
काट पेड़ बस छणिक सुख पायेगा
जब कटते होंगे पेड़
चोट इन्हें भी तो लगती होगी
ये कटे तो मानव की भी तो सांसे घटती होगी?
इन पेड़ों से ही साँसे चलती
जीवन चलता सबका।
ओ मानव
जरा सी लालच हटा कर सोच
एक मिनट को पँछी बनकर सोच
सोच पेड़ का मूल्य
दोस्ती कर प्रकृति से
रह दूर जरा प्रगति से
दोस्ती हमसब की
युग युगान्तर तक जायेगी
फिर क्या पेड़, क्या पँछी
ये व्योम ,धरा,नदी सब
खिलखिलायेगी
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