हमारा महत्त्वपूर्ण ,बहुत महत्त्वपूर्ण कुछ
महानगर में खो गया था
उथल पुथल मच गयी थी ज़िन्दगी में
सबकुछ शून्य सा हो गया था।
बड़ी मुश्किल से गुजरे तीन दिन,
घंटे ,मिनट गिन गिन,
खुद को हिम्मत ,हौंसला बंधाते
एक दूसरे से "सब ठीक है"
का स्वांग रचाते,
पर स्वांग भी रंग ला गया
ऊपरवाले को भी तरस आ गया।
एक अनजान इंसान को
मिला हमारा सामान
बनकर आया वो रूप भगवान
लौटा गया वो सबकुछ
घर का पता देखकर
अपना बहुमूल्य समय देकर
शब्द नहीं उसके लिए हमारे पास
जगा गया वो इंसानियत में हमारी आस
पुनः पुनः नमन उस शख्स को
जो बना गया हमारे जीवन में
अपनी जगह खास
दिखा गया इंसानियत में आस
सीखा गया आस्था और विश्वास का पाठ।
महानगर में खो गया था
उथल पुथल मच गयी थी ज़िन्दगी में
सबकुछ शून्य सा हो गया था।
बड़ी मुश्किल से गुजरे तीन दिन,
घंटे ,मिनट गिन गिन,
खुद को हिम्मत ,हौंसला बंधाते
एक दूसरे से "सब ठीक है"
का स्वांग रचाते,
पर स्वांग भी रंग ला गया
ऊपरवाले को भी तरस आ गया।
एक अनजान इंसान को
मिला हमारा सामान
बनकर आया वो रूप भगवान
लौटा गया वो सबकुछ
घर का पता देखकर
अपना बहुमूल्य समय देकर
शब्द नहीं उसके लिए हमारे पास
जगा गया वो इंसानियत में हमारी आस
पुनः पुनः नमन उस शख्स को
जो बना गया हमारे जीवन में
अपनी जगह खास
दिखा गया इंसानियत में आस
सीखा गया आस्था और विश्वास का पाठ।
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