व्यस्त ज़िन्दगी के
गुजरे पलों के इधर उधर पड़े
लम्हों के कतरनों को
संभाल कर रखना ...
कहीं कोई रंगीन
कहीं रंगविहीन टुकड़ा पड़ा होगा
किसी टुकड़े में
दाग कोई लगा होगा ,
दोस्तों की टोली की तरह
कई यादों का टुकड़ा सतरंगी होगा,
रिश्तो की तरह,कोई टुकड़ा
किसी डोर से उलझा होगा ,
कहीं कोई टुकड़ा .कहीं से आरा
कहीं से तिरछा होगा,
कुछ यूँ ही कुछ अजनबी एहसासों
में लिपटा होगा
ज़िन्दगी के अनुभवों की तरह ,
सब टुकडो का
मायना और अस्तित्व होगा
जोड़कर सब कतरनों को,सिलकर
चलो बनाये एक चादर
कभी ओढ़कर जिसे
कभी बिछाकर
यादो की कतरन
अनुभवों और यादों की
उष्णता देगा....
गुजरे पलों के इधर उधर पड़े
लम्हों के कतरनों को
संभाल कर रखना ...
कहीं कोई रंगीन
कहीं रंगविहीन टुकड़ा पड़ा होगा
किसी टुकड़े में
दाग कोई लगा होगा ,
दोस्तों की टोली की तरह
कई यादों का टुकड़ा सतरंगी होगा,
रिश्तो की तरह,कोई टुकड़ा
किसी डोर से उलझा होगा ,
कहीं कोई टुकड़ा .कहीं से आरा
कहीं से तिरछा होगा,
कुछ यूँ ही कुछ अजनबी एहसासों
में लिपटा होगा
ज़िन्दगी के अनुभवों की तरह ,
सब टुकडो का
मायना और अस्तित्व होगा
जोड़कर सब कतरनों को,सिलकर
चलो बनाये एक चादर
कभी ओढ़कर जिसे
कभी बिछाकर
यादो की कतरन
अनुभवों और यादों की
उष्णता देगा....