Tuesday 3 January 2017

जाता हुआ साल


कभी जाने से तेरे
इतना बुरा नहीं लगा
कर रहा था दिल
बस रोक लूँ , तुम्हें जरा
थाम लूँ तुम्हारा दामन
जी लूँ बस
तेरे साथ गुजारा हर लम्हा
फिर से दुबारा.....
जो तुमसे मिल रहा
संभाल उसे बस
  यूँ ही पीती जाऊँ
       घूँट घूँट
प्यार से , तसल्ली से
यूँ ही ,जीती जाऊँ....
कह भी नहीं सकती
रुक भी जाओ ना
कुछ पल ख़ुशियों के
और दे जाओ ना...
किसके रोके रुके हो तुम?
किसके कहने से झुके हो तुम?
तुम तो बस एक वक़्त हो
लम्हो, दिनों, महीनो से
साल मे बदलकर
बस चल देते हो
और दे जाते हो
यादों का अंबार
कहकर ये
    मैं तो चला
    अब तू अपनी
    यादें संभाल.........



(2016 की याद मे )