दबा सा था,
दिल के अंदर कहीं
अब
अंकुरित, प्रस्फुटित हो
प्रेम पुष्पित होने लगा
दबी दबी जो थी अधरों पर
अब मुखरित होने लगा
आँखों में काजल सा फैलने लगा
माथे पर बिंदी सा उभरने लगा
पायल की रुमझुम में
संगीत सा बजने लगा
लब गीतों को गुनगुनाने लगा
दिल मेरा प्रेम प्रदर्शित करने लगा !
होते ही शाम सितारों सा
एहसास मेरा जगमगाने लगा
चाँद में सूरत तेरी देखने लगा
सुबह फ़ैल धूप सा आँगन में
मेरे हर कोने को रोशन करने लगा
कैसे न हो इज़हार
प्यार मेरा सूरज सा चमकने लगा !
लिखने बैठूँ तो लिख जाती हूँ तुम्हें
मेरा कलम भी मुझसे
बगावत करने लगा,
कटाक्ष लिखूँ तो
कलम प्रेम-श्रृंगार लिखने लगा
मेरे भावों का इज़हार करने लगा !
मेरे प्रेम के खुमार से
कवितायें मेरी तुमसे जलने लगी
मेरी धड़कनों में सिर्फ नाम तुम्हारा
शायद इन्हें कुछ खलने लगीं
कर दिया इज़हार प्रेम का
कर दिया अभिव्यक्त खुद को
न कराओ अब इंतज़ार
पल भी अब तुम बिन
सदियों सा लगने लगा
पुष्पित प्रेम कुसुम
अब बगिया सा महकने लगा
इज़हारे प्यार क्या किया
देखो कलम भी बहकने लगा
चहुँ ओर बस प्रेम दिखने लगा
दे दो बस एक इशारा इकरार का
मन बावरा ये होने लगा !!!
दिल के अंदर कहीं
अब
अंकुरित, प्रस्फुटित हो
प्रेम पुष्पित होने लगा
दबी दबी जो थी अधरों पर
अब मुखरित होने लगा
आँखों में काजल सा फैलने लगा
माथे पर बिंदी सा उभरने लगा
पायल की रुमझुम में
संगीत सा बजने लगा
लब गीतों को गुनगुनाने लगा
दिल मेरा प्रेम प्रदर्शित करने लगा !
होते ही शाम सितारों सा
एहसास मेरा जगमगाने लगा
चाँद में सूरत तेरी देखने लगा
सुबह फ़ैल धूप सा आँगन में
मेरे हर कोने को रोशन करने लगा
कैसे न हो इज़हार
प्यार मेरा सूरज सा चमकने लगा !
लिखने बैठूँ तो लिख जाती हूँ तुम्हें
मेरा कलम भी मुझसे
बगावत करने लगा,
कटाक्ष लिखूँ तो
कलम प्रेम-श्रृंगार लिखने लगा
मेरे भावों का इज़हार करने लगा !
मेरे प्रेम के खुमार से
कवितायें मेरी तुमसे जलने लगी
मेरी धड़कनों में सिर्फ नाम तुम्हारा
शायद इन्हें कुछ खलने लगीं
कर दिया इज़हार प्रेम का
कर दिया अभिव्यक्त खुद को
न कराओ अब इंतज़ार
पल भी अब तुम बिन
सदियों सा लगने लगा
पुष्पित प्रेम कुसुम
अब बगिया सा महकने लगा
इज़हारे प्यार क्या किया
देखो कलम भी बहकने लगा
चहुँ ओर बस प्रेम दिखने लगा
दे दो बस एक इशारा इकरार का
मन बावरा ये होने लगा !!!