जब होता मन का ऋतु परिवर्तन
होता है तब नूतन स्पंदन
होते पुष्पित, पुष्प कल्पनाओं के,
भ्रमर करते,संगीत की गुंजन,
जब होता मन का ऋतु परिवर्तन।
नहीं वेदनाओं का होता क्रंदन
भावनायें करती,भावमय नर्तन
हर्षित मन करता ,सबका अभिनंदन
लगता प्रिय,बस प्रिय का बंधन
जब होता मन का ऋतु परिवर्तन।
सजे आँखों मे छवि मनमोहन,
भाए बस, प्रिय का अवलंबन,
लगे नैन ,उजास का अंजन,
बोलता झूठ भी,देखो दर्पण,
जब होता मन का ऋतु परिवर्तन।
बहे मन बयार ,जैसे नंदन कानन
भरता कुलांचें, मन हिरण
तपती धूप बने,छाँव गोवर्धन
राधा सी प्रीत लिये उर बने वृन्दावन
जब होता मन का ऋतु परिवर्तन
जब होता मन का ऋतु परिवर्तन।
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