Tuesday, 8 September 2020

प्रेम और चालीस पार की औरतें

 जब प्रेम कविता लिखतीं हैं

चालीस, पचास पार की औरतें

तो लगाये जाते हैं

विशेषणों के भी,विशेष अर्थ।

ढूंढी जाती है,कोई कहानी

उस कविता में!

शब्दों के

संधि तो कभी विग्रह

किये जाते हैं बारंबार।

भावों को तौल

बीते सालों से जोड़,घटा

लगाया जाता है

एक हिसाब।

और की जाती है

एक समीक्षा

उम्र की गोधूलि में

प्रेम का सूर्योदय 

प्रकृति के विरुद्ध है।

No comments:

Post a Comment