विदा हो रही
बेटी के साथ
माँ बाँधती है
सब मीठा,
ताकि बनी रहे, मिठास
ज़िन्दगी में भी
मायके से भी!
पर बेटियाँ
बाँध लेती हैं
कुछ नमक ,
बिना कुछ कहे,किसी से,
समेट लेती हैं उनको आँखो में
चुपके से….
घुलता रहता है
मीठी ज़िन्दगी के बीच वो नमक
जिसे संजोती हैं बेटियाँ
बड़े जतन से,छुटपन से ही
जब से सुनी थी उसने
एक राजा और उसकी राजकुमारी वाली कहानी
"पिताजी मैं आपको नमक से भी
ज्यादा प्यार करती हूँ"
आँखों में छुपाये नमक
गालों को छूकर
जब होंठ तक पहुँचते हैं
कर लेती हैं बेटियाँ, महसूस
नमक वाला प्यार
अपने पिता के लिए
मीठी मीठी ज़िन्दगी में…
कभी भी,कहीं भी...
©Anupama Jha
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