Tuesday, 8 September 2020

भ्रम

 कभी हालात कभी जज़्बातों से

जुझते रहे हम

हँसते रहे कभी,

कभी घुटते रहे हम

कभी जुड़ते,कभी टूटते रहे हम

खुली,बंद आँखो से

बस सजाते रहे सपने

कहाँ चैन से सोते रहे हम!

समझौते करते रहे

कभी अपने, कभी अपनों से

जीतते और हारते रहे हम

दुनिया की भीड़ में

खुद को ढूँढते रहे हम

वज़ूद बनाने में 

खुद का वज़ूद भूलते रहे हम

बिखेरकर खुद को

खुद ही समेटते रहे हम

कांधे पर हमारे ही

टिकी है ये दुनियाँ 

बस इसी भ्रम में

जीते रहे हम.....

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