खुशियों से बस नहीं चलती है ज़िन्दगी
ज़िन्दा रहने के लिए चाहिए ग़मो का दौर भी!
भाग भाग कर न जियो अपनी ज़िन्दगी
खुशियों को पनपने के लिए चाहिये, एक ठौर भी
फेंकने से पहले, खाने को देख लो
लाखों हैं जिन्हें मिलता नहीं, एक कौर भी
चलती नहीँ ज़िंदगी, बस प्यार के सहारे
चाहिए जीने के लिए, ज़ुनून कुछ और भी!
क्या खोया ? क्या पाया, ज़िंदगी की शाम में
करना कभी ,इन बातों पर गौर भी!
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