सावन
आसमान में छाए बदरिया
मोहे गरज,गरज डराए बिजुरिया,
अब तो ,आजा मोरे साँवरिया,
यह सावन मुझे ,सताए है।
सूनी सेज डंसे हैं मोहे
पीर हिया की
कैसे समझाऊँ तोहे
राह तकत, नैन यह कैसे
देखो गए पथराए हैं।
ताकूँ हर राह,डगरिया
पूछू पता हर बाट, बटोहिया
प्रेम रंग है यह साँवरिया,
न कहना तू,मोहे बावरिया
कोयल,मोर,पपीहा सब
देखो मुझे चिढ़ाए है।
आसमान में छाए बदरिया
मोहे गरज,गरज डराए बिजुरिया
अब तो आजा मोरे साँवरिया
यह सावन मुझे सताए है…
यह सावन मुझे सताए है…
©अनुपमा झा
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