#साज़िश
मिलती,जुलती इच्छाएँ
मिलती,जुलती भावनाएँ
कुछ आशाओं को देती जन्म।
कुछ परिभाषाएँ मिल जाती
जीवन से,जीवन में
फिर होता उत्पन्न
एक रिश्ता-रूहानी सा।
कुछ अनकहे को समझ लेना
कुछ अनलिखे को पढ़ लेना
और जाना जुड़
ऐसे ही नहीं होता।
तय होता है -सबकुछ
जन्म, परिणय, मृत्यु से परे
एक बंधन
जो बंधते हैं
हर जन्म में
कभी तारे बनकर
कभी हम-तुम बनकर।
सब साज़िश है
तयशुदा आसमानी साज़िश
सारे ग्रह-नक्षत्रों ने की है मिलकर
एक आसमानी साज़िश
आकाश गंगा को साक्ष्य बनाकर
हमे- तुम्हें मिलाकर
है ना??
(#दोस्तो के नाम)
©अनुपमा झा
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