Tuesday, 8 September 2020

साजिश

 #साज़िश


मिलती,जुलती इच्छाएँ

मिलती,जुलती भावनाएँ

कुछ आशाओं को देती जन्म।


कुछ परिभाषाएँ मिल जाती

जीवन से,जीवन में

फिर होता उत्पन्न

एक रिश्ता-रूहानी सा।


कुछ अनकहे को समझ लेना

कुछ अनलिखे को पढ़ लेना

और जाना जुड़

ऐसे ही नहीं होता।


तय होता है -सबकुछ

जन्म, परिणय, मृत्यु से परे

एक बंधन

जो बंधते हैं

हर जन्म में

कभी तारे बनकर

कभी हम-तुम बनकर।

सब साज़िश है

तयशुदा आसमानी साज़िश

सारे ग्रह-नक्षत्रों ने की है मिलकर

एक आसमानी साज़िश

आकाश गंगा को साक्ष्य बनाकर

हमे- तुम्हें मिलाकर

है ना??

(#दोस्तो के नाम)

©अनुपमा झा

🌷🌷🌷🌷🌷

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