#मछलियाँ
नहीं रहती,
पानी में कुछ मछलियाँ
कहीं घर नहीं होता उनका,
न झील, न नदियाँ
न पोखर, न समंदर,
हर जगह ,
मछुआरों की मौज़ूदगी,का डर
और इसलिए सदियों से
ढूंढ रही है मछलियाँ
अपने लिए ,महफूज़ जगह
पर
पकड़ी जाती हैं
कभी किसी के बनाये
कांटे में
कभी ,बिछाए जाल में।
कभी कोई हिम्मती मछली
वज़ूद की तलाश में
पहुँच जाती है
धरती की सतह के असपास
तो पकड़ ली जाती है
यूँ ही,किसी हाथ से।
कभी मार दी जाती हैं
कभी छोड़ दी जाती हैं,
एक सुंदर से,
एक्वेरियम के अंदर
स्वतंत्रता से विचरने को।
और सोचने को मछलियों को
पानी और मछली पर्याय है
तो फिर
कौन सा पानी अपना है?
कौन सा पानी अपना है?
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